Sunday, March 8, 2009

विरक्त सी हूँ आज.......

दिखावे की दुनिया है .....
जो दीखता नही वो बिकता नही
और जो बिकता नही वो टिकता नही.......
सुबह की ओस की बूँद किसे याद है,
आजकल तो स्वभाव के भी ऊंचे भाव हैं!

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